Monday, March 27, 2017

सिटी तमाशा/ पुराने स्टिकर खुरचना और नए नाम लिखना


ये बदलाव के दिन हैं. मौसम ही नहीं बदला, सत्ता भी बदली. अब जगह-जगह लिखावट बदल रही है. जैसे पांच, कालिदास मार्ग के फाटक पर अखिलेश यादव की जगह लिखा गया- आदित्यनाथ योगी. इसी तरह पुरानी लिखावटें नई इबारतों में बदल रही हैं. उस दिन देखा कि पुलिस पेट्रोल की एक गाड़ी किनारे खड़ी करके एक सिपाही उस पर लिखा 100और ‘1090’ मिटाने में लगा है. स्टिकर था, धीरे-धीरे खुरचा जा रहा था. पूछा- इसकी जगह अब क्या लगाओगे?’ जवाब में वह मुस्करा दिया और प्रेम से अपने काम में लगा रहा. उसके हाथ बता रहे थे कि वह स्टिकर खुरचने में माहिर हो चुका है.
हम सोचने लगे कि ‘100’ नम्बर तो बहुत पुराना है. पुलिस कण्ट्रोल रूम का नम्बर. किसी भी तरह की पुलिस सहायता के लिए 100 मिलाना होता है. लेकिन 100 के साथ लिखा ‘1090’ अखिलेश सरकार की देन है. तत्काल पुलिस सहायता और महिला सुरक्षा के वास्ते. लोहिया पथ का एक प्रमुख चौराहा उसी के नाम पर पड़ गया. ‘1090’ ने कितने लोगों की मदद की और अपने उद्देश्य में कितनी सफल रही, यह तो पीड़ित जानें लेकिन उसकी सारी व्यवस्था सरकारी यानी जनता के धन से हुई थी. वह असफल रही या कमजोर साबित हुई तो उसकी समीक्षा होनी चाहिए, उसमें सुधार होना चाहिए. सुधार होता है या गाड़ियों में नया स्टिकर लगता है- एण्टी रोमियो उड़नदस्ता’.
सरकार बदलने के साथ योजनाएं भी बदल जाती हैं. हमने पहले भी देखा है. जैसे विधवा पेंशन और वृद्धावस्था पेंशनकई साल से सभी राज्य सरकारें दे रहीं हैं. बसपा उसे शाहूजी विधवा पेंशनकह देती है, सपा उसके नाम में शाहूजी हटाकर समाजवादीजोड़ देती है. भाजपा सरकार कई साल बाद आई है तो एक नया नाम उसमें जुड़ जाएगा. इसी तरह ग्रामीण छात्राओं को सायकल, होशियार बच्चों को लैपटॉप, छात्रवृत्ति, वगैरह कोई सरकार बंद नहीं करती. थोड़ा रद्दोबदल के साथ, जिसमें नाम का बदलाव मुख्य होता है, योजना जारी रहती है. नई सरकार के ये शुरुआती दिन नाम बदलने, स्टिकर खुरचने, फाइल कवर और सीट कवर बदलने, आदि-आदि के दिन होते हैं. देखें, सपा सरकार की श्रवण यात्राका नया नाम क्या रखा जाता है. वैसे श्रवण नाम भाजपा को भाना चाहिए था लेकिन उसमें सपा की छूत है.  
अफसरान यह सारे काम बड़ी चुस्ती-फुर्ती से करते हैं. इसका उन्हें बहुत अच्छा अनुभव है. वे पहले ही भांप लेते हैं कि नए निजाम को क्या पसंद है. एक चीज जो सख्त नापसंद की जाती है, वह है पुरानी सरकार की गंध और उसकी योजनाओं के नाम. आपने देखा ही होगा कि मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने नया मुख्यमंत्री तय होने से पहले ही आदेश जारी कर दिया था कि सभी सरकारी कर्मचारी-अधिकारी समय से दफ्तर आना शुरू कर दें क्योंकि सरकार बदल गई है. पुरानी सरकार में समय से आने का निर्देश जारी नहीं हुआ था, इसलिए. वे लम्बे अनुभव से जानते हैं कि बदलाव होना ही नहीं, दिखना भी चाहिए. इसलिए फटाफट नेम प्लेट,आदि बदल जाते हैं, रंगाई-पुताई हो जाती है. नई कुर्सियां, नई कारें, नए एसी खरीदे जाते हैं. नई सरकार इस खर्च पर सवाल नहीं उठाती. बिल पर फौरन चिड़िया बैठा देती है.
ये सारे बदलाव हो जाने के बाद ही नई सरकार सेटल हो पाती है. (नभाटा, 25 मार्च, 2017) 




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