Thursday, December 07, 2017

किस्सा पिडी के ट्वीट का


अक्टूबर के अंतिम और नवम्बर के शुरुआती दिनों में राहुल गांधी का पिडीट्विटर पर ट्रेण्ड कर रहा था. पिडी कौन? राहुल का डॉगी. कुत्ता कहने का चलन नहीं रहा. कुत्ते सड़क वाले होते हैं. खैर, पिडी ने ट्विटर पर बताया कि राहुल गांधी के ट्वीट और रिट्वीट के पीछे उसका हाथ है. उस ट्विटर हैण्डल पर पिडी का वीडियो भी अपलोड हुआ था. फिर तो ट्विटराती को मजा आ गया. ट्विटराती नहीं जानते? अरे, वही ट्विटर वाली आबादी. जैसे बारात में शामिल बाराती, वैसे ट्विटर वाले ट्विटराती!
चलिए, मजाक छोड़िए. आखिर पिडी को ट्वीट क्यों करना पड़ा? इसलिए कि जबसे राहुल गांधी ने गुजरात का मोर्चा जोर-शोर से सम्भाला है, तब से सोशल मीडिया पर उनके फॉलोवर एकाएक बहुत बढ़ गये. मुश्किल से देढ़ लाख फॉलोवर थे, जो एकाएक बढ़कर चार लाख से ऊपर हो गये. उनके ट्वीट को रिट्वीट करने वाले भी कई गुणा ज्यादा हो गये. भाजपा वाले चिंतित हो गये. वे राहुल को जोकर बनाए रखने के लिए ऐ‌ड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं. इतनी बड़ी संख्या में फॉलोवर कहां से आ गये?
सो, भाजपा वाली सोशल मीडिया सेना ने पूछ लिया- राहुल के ट्वीट के पीछे है? मतलब भाजपाई कहना चाहते थे कि राहुल बाबा को तो इतनी अक्ल है नहीं. उनकी मदद करने कौन आ गया? जवाब में राहुल के ट्विटर हैण्डल पर पिडी और पिडी का वीडियो दिखाई दिया, यह कहते हुए कि – राहुल के पीछे मैं हूँ. भाजपाई चित्त! हालांकि खिसियाए मुंह इसका मजाक बनाना भी उन्होंने जारी रखा. 
मालूम होता है कि भाजपाई वास्तव में परेशान हैं. सोशल मीडिया तो उनका प्रिय अखाड़ा है, जहां वे अपनी विशाल पेड-अनपेड सेना के जरिए विरोधियों पर सच्चे कम-झूठे ज्यादा हमले करते रहते हैं. नरेंद्र मोदी का उभारऔर भाजपा का ताजा अवतार सोशल मीडिया अभियानों की देन है. अब उसी के अखाड़े में राहुल की चुनौती उन्हें पच नहीं रही.  राहुल हैं कि लगता है ठान बैठे हैं कि मोदी को उनकी ही शैली में जवाब देंगे.
जब राहुल ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्सकहा तो उन्हें सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया में खूब चर्चा मिली. वाह, जीएसटी का क्या ही बढ़िया फुल फॉर्म निकाला- गब्बर सिंह टैक्स! “ये टैक्स मुझे दे दे, ठाकुर” वाले अंदाज में. राहुल का यह जुमला भी सोशल साइटों में हिट हो गया. 
अब तक मोदी और उनकी देखा-देखी भाजपा वाले ही चुटीले जुमले निकाला करते थे. मोदी के जुमले हिट होते रहे हैं. भाषणबाजी और जुमले बनाने में अपने प्रधानमंत्री का जवाब नहीं. लेकिन हाल की अपनी अमेरिका यात्रा में राहुल ने जाने कौन सी घुट्टी पी कि जुमलों में मोदी का मुकाबला करने डट गये.
अब देखिए, मोदी की हाल की एक गुजरात यात्रा की सुबह-सुबह राहुल ने क्या मजेदार ट्वीट किया- “आज होगी आसमान से जुमलों की बारिश”. लीजिए, राहुल का यह ट्वीट भी हिट हो गया. ट्रेण्ड करने लगा. राहुल ने कहीं नहीं लिखा था कि यह मोदी के बारे में है. मगर लोगों ने सीधा मोदी से जोड़ लिया. गुजरात में मोदी की सभा होनी थी उस दिन. मानसून विदा हो चुका. घन-घमण्ड नभ हो रहा होता तो भी जुमले बादलों से नहीं बरसते. मतलब मोदी ही करेंगे जुमलों की बारिश. राहुल का ट्वीट बिल्कुल निशाने पर बैठा. इसे रिट्वीट और लाइक करने वालों का आंकड़ा सोशल मीडिया पर मोदी की लोकप्रियता तक पहुंच गया.
जाहिर है कि यह सुनियोजित पलटवार है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत तमाम भाजपा नेताओं ने पिछले तीन-चार सालों में बड़े नियोजित ढंग से राहुल गांधी की  पप्पू-छविखूब प्रचारित की. उतने लल्लू तो राहुल नहीं ही हैं जितने बना दिये गये हैं. उन पर मजाकिया किस्से और चुटकुले रचने में बड़े-बड़े दिमाग लगे. पूरी सोशल मीडिया टीम लगी. नतीजा यह कि राहुल अगम्भीर एवं नासमझ राजनैतिक नेता माने जाने लगे. उनकी पप्पू-छवि बन गयी. इसके लिए कुछ जिम्मेदार खुद राहुल भी रहे. न संसद सत्र छोड़ कर चुपचाप विदेश जाते न नानी वाले चुटकुले चलते.  
खैर, किसी को आप कब तक लल्लू या पप्पू बनाए रख सकते हैं. गुजरात चुनाव नजदीक आते ही राहुल गांधी की टीम  सक्रिय हो गयी. अमेरिका के विभिन्न शहरों में हुई उनकी सभाओं और टीवी-वार्ताओं की काफी सराहना हुई. वह  नियोजित अभियान था. मोदी की अपनी सोशल मीडिया टीम है तो अब राहुल ने भी सोशल मीडिया टीम बना ली. उनके ट्वीट और भाषण बाकायदा समय और स्थिति देख कर तैयार किये जा रहे हैं. राहुल की छवि में इधर आया सुधार सभी ने यूं ही नोट नहीं किया.
अभी हाल में अहमदाबाद आईआईटी के छात्रों की सभा में मोदी ने कहा था कि “मैं आईआईटीयन तो नहीं, लेकिन टीयन अवश्य हूं”. उन्होंने चायवालाके लिए टीयन शब्द गढ़ा. “टीयनसमझने में आईआईटी वालों को भी कुछ समय लग गया था लेकिन जब राहुल ने कहा कि मोदी जी ने देश की अर्थव्यवस्था पर दो-दो टॉरपीडो चला दिये- नोटबंदी और जीएसटी, तो टॉरपीडो ने अच्छा धमाका किया.  
अब समझ में आ रहा है कि अमित शाह ने अपनी एक सभा में युवकों से यह अपील क्यों की होगी कि सोशल मीडिया की हर बात पर पूरा भरोसा मत करो, अपना दिमाग लगाओ. सोशल मीडिया को अपना बड़ा हथियार बनाने वाली पार्टी के अध्यक्ष की इस अपील ने उस समय चौंकाया था. अब लगता है कि उन्हें राहुल की ट्विटर और जुमला-तैयारियों का अंदाजा था.
यह तो कोई नहीं मान रहा कि  भाजपा गुजरात में हार जाएगी. राहुल के सोशल मीडिया में छा जाने मात्र से मतदाता कांग्रेस के पाले में नहीं चला जाएगा. भाजपा की चिंता इसलिए है कि राहुल का सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होना भी उसे मंजूर नहीं.
राहुल तो राहुल, उनका पिडी भी ट्विटर पर ट्रेण्ड करने लगे तो उधर नींद उड़ने लगती है.    
(स्तम्भ, दस्तक टाइम्स, दिसम्बर, 2017) 


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