Saturday, May 12, 2018

कुत्तों को गोली से उड़ाने वाला प्रशासन



सीतापुर जिले में खैराबाद के अस-पास गांव वालों को लगा कि दिशा- मैदान जाते बच्चों पर हमला करने वाला कुत्तों का कोई झुण्ड है. तेरह बच्चों की जान जाना अत्यधिक गम्भीर मामला है. ग्रामीणों की आशंका और चिंता स्वाभाविक है. उनका डण्डे लेकर कुत्तों को मार डालना भी समझा जा सकता है  लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों को क्या हो गया जो वे बंदूकें लेकर गांव के कुत्तों के शिकार पर निकल पड़े? कुछ मित्रों ने गोली से मारे गये कुत्तों की तस्वीरें भेजीं तो देख कर प्रशासनिक अधिकारियों की बुद्धि पर तरस और क्रोध आया. आखिर वे इतने क्रूर और नासमझ कैसे हो सकते हैं? क्या उन्होंने अपनी बुद्धि को ताक पर रख दिया? ऊपरी दवाब में जनाक्रोश को शांत करने के लिए वे कुत्ते जैसे निरीह जानवरों को गोलियों से भून उतर पड़े?

कोई बारह साल पुरानी घटना याद आ गयी. उन्नाव के एक गांव में सत्रह वर्ष की किशोरी अचानक लापता हो गयी थी. किसी ने अफवाह उड़ा दी कि एक अजगर ने लड़की को निगल लिया है. गांव वाले अजगर की आशंका से आतंकित हो गये. उन्होंने लखनऊ-कानपुर मार्ग जाम करके मांग की कि प्रशासन अजगर को पकड़े, क्योंकि उससे और लोगों को भी खतरा है. अखबारों में भी यही छप रहा था कि लड़की को अजगर निगल गया. अखबार वाले कहीं से यह भी पता कर लाये थे कि लड़की को पलक-झपकते निगल जाने वाला अजगर एनाकोण्डाहोगा.

गांव वालों की मांग पर जिला प्रशासन अजगर को खोजने निकला. उन दिनों लखनऊ-कानपुर मार्ग चौड़ा किया जा रहा था. कई खुदाई मशीनें तैनात थीं. प्रशासन जेसीबी लेकर गांव की जमीन खुदवाने में जुट गया. एक-दो अजगर मिले तो उन्हें मार डाला गया. कोई चार दिन की मेहनत के बाद उस समय के हमारे सम्वाददाता ने यह खोज निकाला था कि सत्रह साल की उस लड़की को किसी अजगर ने नहीं निगला था, बल्कि ट्यूबवेल के चौकीदार ने उसे अपनी कोठरी में कैद कर रखा था. लड़की सकुशल बरामद कर ली गयी थी.

प्रशासन को न तब शर्म आयी थी न आज आयेगी. तब उन्नाव के अधिकारियों ने यह सोचने की जहमत नहीं उठायी थी कि सत्रह साल की लड़की को कोई अजगर कैसे पलक-झपकते निगल सकता है! आज सीतापुर के अधिकारियों ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर कुत्ते अचानक इतने खूंखार कैसे हो गये? क्या बच्चों को मार डालने वाले वास्तव में कुत्ते ही हैं? और अगर कुत्ते ही ऐसा कर रहे हैं तो क्या वे गांव में पलने वाले कुत्ते हैं? बिना किसी तर्क और खोज-बीन के करीब एक सौ कुत्ते मार डाले गये.

कई प्रत्यक्षदर्शियों का बयान सामने आया है कि बच्चों पर हमला करने वाला झुण्ड कुत्ते जैसा दिखने वाले जानवरों का है. पशु-विज्ञानियों की टीम ने भी इस दिशा में जांच की है. कई लोगों ने गांव में पले कुत्तों को मारने का विरोध किया. कुछ ने उन्हें बचाने के लिए उनके गले में पट्टे बांधे. जाहिर है, गांव वाले भी एकमत नहीं थे कि हमलावर कुत्ते ही हैं.  

बच्चों पर हमला कर उन्हें मार डालने वाले जानवरों की पड़ताल अवश्य होनी चाहिए. प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह तुरंत प्रभावी कार्रवाई करे. अगर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी अफवाहों पर कान देकर हर किसी कुत्ते  को गोली से उड़ाने लगे तो क्या कहा जाए?

इस घटना ने खुले में शौच-मुक्त गांवों के दावे की भी असलियत सामने रखी है. मारे गये ज्यादातर बच्चे खुले में शौच के लिए गये थे. 

(सिटी तमाशा, नभाटा, 12 मई, 2018) 

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